۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
रहबर

हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,साम्राज्य के ख़िलाफ़ उनके रुख़, रुढ़िवाद के ख़िलाफ़ उनकी नीति, पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी के ख़िलाफ़ उनकी नीति और मुनाफ़िक़ों और दोहरे चेहरे वालों के ख़िलाफ़ उनके रुख़ को खुल कर बयान किया जाना चाहिए

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इमाम ख़ुमैनी र.ह. के मकसद को खुल कर बयान करना चाहिए साम्राज्य के ख़िलाफ़ उनके रुख़, रुढ़िवाद के ख़िलाफ़ उनकी नीति, पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी के ख़िलाफ़ उनकी नीति और मुनाफ़िक़ों और दोहरे चेहरे वालों के ख़िलाफ़ उनके रुख़ को खुल कर बयान किया जाना चाहिए।

जो लोग इस महान इंसान से प्रभावित हुए, उन्होंने उनके इस रुख़ को देखा और उन्हें तसलीम किया। ये तो नहीं हो सकता कि फ़ुलां और फ़ुलां इमाम ख़ुमैनी को पसंद करने लगें, इस लिए हम उनकी नीतियों को छिपा दें, सामने न लाएं या उन चीज़ों को हल्का कर दें जो हमारी नज़र में सख़्त हैं। कुछ लोग एक ज़माने में - वह ज़माना हमें याद है, हमारी जवानी का ज़माना था -

इस बात के लिए इस्लाम के कुछ चाहने वाले और समर्थक तैयार हो जाएं, इस्लाम के कुछ आदेशों का रंग फीका कर देते थे, उनकी अनदेखी कर देते थे, क़ेसास के हुक्म को, जेहाद के हुक्म को, हिजाब के हुक्म को छिपाते थे या उनका इन्कार कर देते थे और कहते थे कि इनका इस्लाम से कोई तअल्लुक़ नहीं है, क़ेसास इस्लाम में नहीं है,

जेहाद का इस्लाम से तअल्लुक़ नहीं है (ऐसा इस लिए करते थे) ताकि फ़ुलां पश्चिमी शोधकर्ता या इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं के फ़ुलां दुश्मन को इस्लाम अच्छा लगने लगे! ये ग़लत है। इस्लाम को उसकी पूरी बारीकियों के साथ बयान करना चाहिए।

इमाम ख़ामेनेई,

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